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कविता

बयान

नरेंद्र जैन


मुझसे पूछकर, नहीं लिया गया था
तीस हजार करोड़ रुपयों का कर्ज
मेरी सात पुश्तों से भी
इसका ब्याज चुकाया न जाएगा
मुझसे पूछकर
नहीं परोसा गया इस मुल्क को
बहुराष्ट्रीय निगमों के भोजन की थाली में
मेरी सात पुश्तों से भी
इसका खमियाजा न भुगता जाएगा
मुझसे
पूछकर कुछ भी नहीं किया गया
न संविधान लिखा गया
न भारतीय दंड संहिता
न स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
अलबत्ता,
पेंशन देने से पहले कहा गया मुझसे
किसी राजपत्रित अधिकारी से
अपने जीवित होने का प्रमाणपत्र
लेकर आओ


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हिंदी समय में नरेंद्र जैन की रचनाएँ



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